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केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (Modipuram Up): ड्रोन का प्रदर्शन किया गया

कहा की कंपनी है?

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कंपनी का नाम जनरल एरोनॉटिक्स है। इसकी मुख्य शाखा बेंगलुरु हैं. ये कंपनी नॉर्थ इंडिया में न्यू ऑफिस खोले है. हरियाणा में कैथल, पंजाब में रायकोट हैं. बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमचाल प्रदेश, झारखंड में भी ऑफिस खोले जाएंगे.

किसानी के लिए भी करेगी काम

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जनरल एयरोनॉटिक्स मुख्य तौर पर एग्री सेक्टर के लिए काम करती है. ये रोबोटिक ड्रोन बनाती है जो फसल की सुरक्षा के लिए अलग-अलग तरीके से काम लाए जाते हैं. साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करके फसल की निगरानी भी करते हैं.

ड्रोन के बारे में जाने

ये ड्रोन का इस्तमाल हम एग्री क्लचर के लिए करते है.

एग्री क्लचर ड्रोन आसान करेगा किसानों का काम, अब एक एकड़ के छिड़काव मे लगेंगे सिर्फ़ 5 मिनट

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खेती किसान को आसान बनाने के लिए ड्रोन को प्रमोट कर रही हैं सरकार. खरीदने पर मिल रही हैं 70% सब्सिडी. किटनासको का छिड़काव बीज की बुआई और फसलों की सेहत पर निगरिनी रखने में कारगर है

आने वाले दिनों में कृषि क्षेत्र में ड्रोन जरूरत बढ़ेगी. इसने किसानों का काम आसान कर दिया है. इसके जरिए कीटनाशकों का छिड़काव और बुवाई काफी आसान हो गई है. पहले जहां 2.30 घंटे में एक एकड़ में छिड़काव होता था वहीं अब यह काम सिर्फ 5 मिनट में हो रहा है. इस समय देश में मुश्किल से एक हजार ड्रोन काम कर रहे हैं. लेकिन 2026 तक यह बढ़कर 6 लाख के पार हो सकता है. एग्रीकल्चर ड्रोन से न सिर्फ किसानों की इनपुट कॉस्ट में बचत होगी बल्कि फसलों का नुकसान कम हो जाएगा, जिससे में उत्पादन पहले से ज्यादा मिलेगा.

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देश की पहली किसान ड्रोन निर्माता कंपनी होने का दावा करने वाली जनरल एरोनॉटिक्स ने अगले एक साल में 2000 ड्रोन का लक्ष्य रखा है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह बाजार कितनी तेजी से बढ़ रहा है. अभी ड्रोन के 20 से 30% पुर्जे बाहर से मंगाए जा रहे हैं. जबकि एक-दो साल के अंदर ही सौ फीसदी स्वदेशी ड्रोन बनने लग जाएगा. कंपनी इन दिनों खेती में ड्रोन के फायदों की जानकारी देने के लिए 15000 किलोमीटर की ड्रोन यात्रा चला रही है.

ड्रोन का कितना है दाम?


एग्रीकल्चर ड्रोन के जरिए बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलेगा. क्योंकि हर ड्रोन के लिए ट्रेंड पायलट चाहिए. इसकी ट्रेनिंग कई राज्यों में हो रही है. इस वक्त महंगा होने की वजह से ज्यादातर किसान एग्रीकल्चर ड्रोन को किराये पर ले रहे हैं. प्रति एकड़ 300 से 500 रुपये की लागत आती है. लेकिन इससे काफी समय बचता है. किसान पर सीधे पेस्टीसाइड नहीं गिरता और फसलों पर दवाई की क्षमता बढ़ जाती है. इस समय 16 लीटर टैंक क्षमता के कृषि ड्रोन का दाम 10 से 12 लाख रुपये है.

किसे कितनी मिलती है छूट?

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किसान आसानी से ड्रोन को अपना सकें इसके लिए केंद्र सरकार उन्हें 40 से 100 फीसदी तक की सब्सिडी दे रही है. कोई किसान व्यक्तिगत तौर पर ड्रोन खरीदता है तो उसे 40 फीसदी सब्सिडी मिलेगी. एफपीओ खरीदेगा तो उसे ज्यादा सब्सिडी मिलेगी. कृषि विश्वविद्यालयों और सरकारी कृषि रिसर्च सेंटरों को सौ फीसदी सब्सिडी है. किसान ड्रोन का बाज़ार में 2026 तक 5000 करोड़ रुपये का हो सकता है. कृषि ड्रोन कुल ड्रोन बाज़ार में तकरीबन 30 फीसदी योगदान देता है.

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कृषि मंत्री ने दिए संकेत , खेती में ड्रोन के प्रयोग की तरफ बढ़ते यूपी के कदम,

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने ड्रोन कृषि यात्रा के आगमन के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि डिजिटल रूप से संचालित कृषि समय की आवश्यकता बनती जा रही है.

खेती किसानी को 21वीं सदी की तकनीक से जोड़ने के प्रयास जारी हैं. जिसके तहत केंद्र सरकार खेती में ड्रोन के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए लगी हुई है. इसी कड़ी में देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश भी प्रयासरत नजर आ रहा है. इसके संकेत राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बीते दिनों लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में दिए हैं. उन्होंने कहा कि ड्रोन के उपयोग से खेती में आसानी होगी और राज्य सरकार ड्रोन तकनीक के बहुआयामी उपयोग के लिए उर्वरक के छिड़काव से लेकर विकास और कल्याणकारी परियोजनाओं की निगरानी तक के लिए ठोस प्रयास कर रही है.

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